कज
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कज ^१पु अव्य॰ [सं॰ कार्य, प्रा॰ कज्ज] दे॰ 'काज' । उ॰—हमहिं बहुत अभिलाष देव बीरानि दरस कज ।—पृ॰ रा॰ ६ ।१४८ ।
कज ^२ संज्ञा पुं॰ [फा॰]
१. टेढ़ापन । जैसे,—उनके पैर में कुछ कज है । क्रि॰ प्र॰—आना ।—पड़ना । मुहा॰—कज निकलना = टेढ़ापन दूर करना । सीधा करना ।
२. कसर । दोष । दूषण । ऐब । क्रि॰ प्र॰ —आना ।—पड़ना ।—होना । मुहा॰—कज निकलना=(१) दोष दूर करना । (२) दोष बतलाना । दूषण दिखाना । यौ॰—कजझबू = कुटिल । भ्रूवाला । धनुषाकार भौहवाला । कजफहम = उलटी सीधी समझवाला । नासमझ । कजरपतार = टेढ़ी चालवाला । वक्रगामी ।