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कजरारा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कजरारा वि॰ [हिं॰ काजर + आई (प्रत्य॰)] [स्त्री॰ कजरारी]

१. काजलवाला । जिसमें काजल लगा हो । अंजनयुक्त । उ॰—(क) फिर फिर दौरत देखियत निचले नैकु रहै न । ये कजरारे कौन पै करत कजाकी नैन ।—बिहारी (शब्द॰) । (ख) कजरारे दृग की घटा जब उनवै जेहि ओर । बरसि सिरावै पुहुमि उर रूप झलान झकोर ।—रसमिधि (शब्द॰) ।

२. काजल के समान काला । काला स्याह । उ॰—(क) वह सुधि नेकु करो पिय प्यारे । कमल पात में तुम जल लीनो जा दिन नदी किनारे । तहँ मेरो आय गयो मृगछौना जाके नैन सहज कजरारे ।—प्रताप (शब्द॰) । (ख) गरजैं गरारे कजरारे अति दीह देह जिनहिं निहारे फिरैं बीर करि धीर भंग ।—गोपाल (शब्द॰) ।