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कज्जल

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कज्जल संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ कज्जलित]

१. अंजन । काजल ।

२. सुरमा । उ॰—बंक अवलोकनि को बात औरई विधान, कज्जल कलित जामें जहर समान है ।—भिखारी ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ १०१ ।

३. कालिख । स्याही । यौ॰—कज्जलध्वज=दीपक । कज्जलगिरि । उ॰—सोनित स्त्रवत सोह तन कारे । जनु कज्जलगिरि गेरु पनारे ।— मानस,६ ।६८ ।

४. बादल ।

५. एक छंद जिसके प्रत्येक चरण में १४ मात्राएँ होती हैं । अंत में एक गुरु और एक लघु होता है । उ॰—प्रभु मम ओरी देख जेव । तुम सम नाहीं और देव (शब्द॰) ।