कड़खा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कड़खा संज्ञा पुं॰ [हिं॰ कड़क] वीरों की प्रशंसा से भरे लड़ाई के गीत जिनको सुनकर बीरों को लड़ने की उत्तेजना होती है । उ॰—(क) मिरदंग और मुहचंग चंग सुढंग संग बजावही । करताल दै दै ताल मारू ख्याल कड़खा गावहीं ।—गोपाल (शब्द॰) । (ख) मोरा बैरी कड़खा गावै मनपथ विरद बखानि ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰२, पृ॰ ५०२ ।