कण्टक
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कंटक संज्ञा पुं॰ [सं॰ कण्टक] [वि॰ कंटकित]
१. काँटा । उ॰—ध्वज कुलिस अकुस कंज जुत बन फिरन कंटक किन लहे ।—मानस, ७ । १३ ।
२. सूई की नोक ।
३. क्षुद्र शत्रु ।
४. वाममार्गवालों के अनुसार वह पुरुष जो वाममार्गी न हो या वाममार्ग का विरोधी हो । पशु ।
५. विघ्न । बाधा । बखेड़ा ।
६. रोमांच ।
७. ज्योतिष के अनुसार जन्मकुंडली में पहला, चौथा, सातवाँ और दसवाँ स्थान ।
८. बाधक । विघ्नकर्ता । उ॰—जो निज गो—द्विज देव धर्म कर्मों का कंटक ।—साकेत पृ॰ ४१७ ।
९. बख्तर । कवच ।—डिं॰ । यौ॰—निष्कंटक ।