कण्व
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कण्व संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. एक मंत्रकार ऋषि जिनके बहुत से मंत्र ऋग्वेद में हैं ।
२. शुक्ल यजुर्वेद के एक शाखाकर ऋषि । इनकी संहिता भी है और ब्राह्मण भी । सायणाचार्य ने इन्हीं की संहिता पर भाष्य किया है ।
३. कश्यप गोत्र में उत्पन्न एक ऋषि जिन्होंने शकुंतला को पाला था ।