कतरनी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कतरनी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कतरना]
१. बाल, कपड़े आदि काटने का एक औजार । कैंची । मिकराज । उ॰—(क) कपट कतरानी पेट में, मुख बचन उचारी ।—धरम॰, पृ॰ ७२ । मुहा॰—कतरनी की जबान चलना=बकवाद करना । दूसरे की बात काटने की बहुत बकवाद करना ।
१. लोहारों और सोनारों का एक औजार जिससे वे धातुओं की चद्दर, तार, पत्तर आदि काटते हैं । यह सँड़सी के आकार की होती है, केवल मुँह की ओर इसमें कतरनी रहती है । काती ।
३. तँबोलियों का एक औजार जिससे वे पान कतरते हैं । विशेष—इसमें लोहे की चद्दर क दो बराबर लंबे टुकड़े या बाँस या सरकंड़े के सोलह सत्रह अंगुल के फाल होते हैं जिन्हें दाहिने हाथ में लेकर पान कतरते हैं ।
४. जुलाहों का एक औजार जिससे वे सूत कातते हैं ।
५. मोचियों और जीनगरों की एक चौड़ी नुकीली सुतारी जिससे वे कड़े स्थान में छोटी सुतारी जाने के लिये छेद करते हैं ।
६. सादे कागज या मोंमजामे का वह टुकड़ा जिसे छीपी बेल छापने समय कोना बनाने के लिये काम में लाते हैं । जहाँ कोने पर पूरा छाप नहीं लगाना होता, वहाँ इसे रख लेते हैं । चंबी । पत्ती ।
७. एक मछली जो मलावार देश की नदियों में होती है ।