कतराना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कतराना ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कतरना]

१. किसी वस्तु या व्यक्ति को बचाकर किनारे से निकल जाना । जैसे, —वह मुझे देखते ही कतरा जाता है । उ॰—अबासी इस मकान पर कतरा के एक गली में जाने लगीं । —फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ २९ ।

२. नाक भौं सिकोड़ना । आपत्ति करना । उ॰—कभी इन सादे भावों को भोड़े और ग्राम्य कह कतराएँगे ।—प्रेमघन॰, पृ॰ ३३९ । संयो॰ क्रि॰—जाना ।