कता

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कता संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ कतअ]

१. बनावट । आकार । उ॰—छपन छपा के रवि इव भा के दंड उतंग उड़ाके । विधि कता के बँधे पताके छुँवें जे रवि रथ चाके़ ।—रघुराज (शब्द॰) ।

२. ढंग । वजा । जैसे,—तुम किस कता के आदमी हो ।

३. कपड़े की काट छाँट । जैसे,—तुम्हारे कोट की कता अच्छी नहीं हैं ।

४. काट । उ॰—उलही प्रीति लतासु, इश्क फूल सों डहडही ।—देखन प्रान कता सु, देखत ही जिय रह सही ।— ब्रज॰ ग्रं॰, पृ॰ १ । मुहा॰—कता करना=कपड़े को किसी नाप के अनुसार काटना । कपड़े को ब्योंतना । जैसे,—दर्जो ने तुम्हारा अंगा कंता किया या नहीं । यौ॰—कताकलाम=बात काटना । बात के बीच में बोल बैठना । कता तअल्लुक=संबंधविच्छेद । बिलगाव । कता नजर= संबंध तोड़ लेना । दृष्टि हटा लेना ।