कद
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कद ^२ संज्ञा पुं॰ [फा॰] जमाई हुई चीनी । मिस्री । उ॰—हक में आशिक के तुझल बाँका बचन । कंद है नेशकर है शक्कर है ।—कविता कौ॰, भा॰ ४, पृ॰ ३९ । यौ॰—कलाकंद । गुलकंद ।
कद ^१ संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ कद्द] [वि॰ कद्दी]
१. इर्ष्या । द्वेष । शत्रुता । जैसे,—वह न जाने क्यों, हमसे कद रखता है ।
२. हठ । जिद । जैसे,—उनको इस बात की कद हो गई है ।
कद ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कं=जल+द=ददाति] बादल । मेघ ।
कद ^३ वि॰ [सं॰]
१. जल देनेवाला ।
२. आनंद या हर्ष देनेवाला [को॰] ।
कद † ^३ अव्य॰ [सं॰ कदा] कब । किस दिन । किस समय । उ॰—पुरष जनम तू कद पामेला, गुण कद हरि रा जासी ।—रघु॰ रू॰, पृ॰ १६ ।
कद ^५ संज्ञा पुं॰ [अ॰ कद] डील । ऊँचाई । उ॰—बामन बामन मृदु कुमुद गनै, अंजन से जैतकर अंजन के कद हैं ।—मातिराम ग्रं॰ पृ॰ ३५३ । यौ॰—कद्देआदम=मानव शरीर के बराबर ऊँचा । विशेष—इसका प्रयोग साधारणतः प्राणियों और पौधों के लिये ही होता है ।