कधी † क्रि॰ वि॰ [हि॰ कद+ ही (प्रत्य॰)] कभी । किसी समय । उ॰—(ख) भौ के माहि कधी नहिं परिहै ।—घट॰ पृ॰ २३९ । (ख) नहीं इपक जिस वह बड़ा कूढ़ है । कधीं उससे मिल बैसिया जाये ना ।—दक्खनी॰, पृ॰ ७६ । यौ॰—कधी कधार=कभी कभी । भूले भटके ।