कन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कण, * कन]
१. किसी वस्तु का बहुत छोटा टुकड़ा । जर्रा । उ॰—बिधि केहि भाँति धरौं उर धीरा । सिरिस सुमन कन बेधिअ हीरा ।—मानस, १ । २५८ । अन्न का एक दाना । उ॰—जैसे कन बिहीन लै धान । धमकि धमकि कूटत आयान ।—नद॰ ग्रं॰, पृ॰ २६९ ।
३. अन्न की किनकी । अनाज के दाने का टुक्ड़ा ।
४. प्रसाद । जूठन ।
५. भीख । भिक्षान्न । उ॰—कन दैव्यौ सौंप्यों ससुर बहु थोरहथी जान । रूप रहचटे लगि लग्यौ माँगन सब आन ।—बिहारी (शब्द॰) ।
६. बूँद । कतरा । उ॰—निज पद जलज बिलोकि सेक रत नयननि वारि रहत न एक छन । मनहु नील नीरज ससि संभव रवि वियोग दोउ श्रवत सुधा कन ।—तुलसी (शब्द॰) ।
७. चावलों की धूल । कना । जैसे,—इन चावलों में बहुत कन है ।
८. बालु या रेत के कण । उ॰—अरु कन के माला कर अपने कौने गूँथ बनाई ।—सूर (शब्द॰) ।
९. कनखे या कली का महीन अंकुर जो पहले रवं जैसा दिखाई पड़ता है । १० । शारीरिक शक्ति । हीर । सत । जैसे,— चार महीने की बीमारी से उनके शरीर में कन नहीं रहा ।
कन ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कर्ण> हिं॰ कान का समासगत रूप] कान । जैसे,—कनपेड़ा, कनपटी, कनछेदन, कनटोप ।