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कपट

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कपट संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ कपटी]

१. अभिप्राय साधन के लिये हृदय की बात को छिपाने की वृत्ति । छल । दंभ । धोखा । उ॰—(क) जो जिय होत न कपट कुचाली । केहि सुहात रथ, बाजि, गजाली ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) सती कपट जानेउ सुरस्वामी । सबदरसी सब अंतरजामी ।—मानस, १ ।५३ । क्रि॰ प्र॰—करना ।—रखना । यौ॰—कपटचक=चिड़िय़ा फँसाने के लिये बिखेरा दाना । फँसान की युक्ति । कपटतापस=बनावटी या बना हुआ साधु । कपटनाटक=ठगना । धोखेबाजी । कपट व्य़वहार करना । कपटप्रबंध=धोखा देने की योजना । कपटवेश=बनावटी भेस । कपटलेख्य=द्विचर्थक या जाली दस्तावेज ।

२. दुराव । छिपाव । क्रि॰ प्र॰—करना ।—रखना ।