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कफ

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कफ ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. वह गाढ़ी लसीली और अंठेदार वस्तु जो खाँसने या थुकने से मुँह से बाहर आती है तथा नाक से भी निकलती है । श्लेष्मा । बलगम ।

२. वैद्यक के अनुसार शरीर के भीतर की एक धातु जिसके रहने का स्थान आमाशय, हृदय, कंठ, शिर और संधि हैं । विशेष—इन स्थानों में रहनेवाले कफ का स्थान क्रमशः क्लेदन, अवलंबन, रसन और श्लेष्मा है । आधुनिक पाश्चात्य मत से इसका स्थान साँस लेने की नलियाँ और आमाशय है । कफ कुपित होने से दोषों में गिना जाता है । यौ॰—कफकारक । कफकृत । कफक्षय ।

कफ ^२ संज्ञा पुं॰ [अ॰ कफ़] कमीज या कुर्ते की आस्तीन के आगे की वह दोहरी पट्टी जिसमें बटन लगाते हैं । यौ॰—कफदार ।जैसे—कफदार कुर्ता ।

कफ ^३ संज्ञा पुं॰ [अ॰ कफ्फ़ फा॰ कफ़] लोहे का वह अर्धचंद्राकार टुकड़ा जिससे ठोंककर चकमक से आग झाड़ते या निकालते हैं । नाल । उ॰—काया, कफ, चकमकै झारौं बारंबार । तीन बार धुआँ भया, चौथे परा अँगार ।—कबीर (शब्द॰) ।

२. झाग । फेन ।

कफ ^४ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] हथेली । पंजा ।