कब्जा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कब्जा संज्ञा पुं॰ [सं॰ कब्जह्]

१. मूँठ । दस्ता । जैसे—तलवार का कब्जा । दराज का कब्जा । मुहा॰—कब्जे पर हाथ डालना = (१) तलवार खींचने के लिये मूँठ पर हात ले जाना । (२) दूसरे की तलवार की मूँठ को पकड़ लेना और उसे तलवार न निकालने देना । दूसरे की तलवार को साहस से पकड़ना । कब्जे पर हाथ रखना = किसी के मारने के लिये तलवार की मूँठ पकड़ना । तलवार खींचने पर उतारु होना ।

२. लोहे या पीत्तल की चद्दर के बने हुए दो चौखूँटे टुकडे़ जो पकड से जुडे़ रहते हैं और सलाई पर घूम सकते हैं । इनसे दो पल्ले या टुकडे़ इस प्रकार जोडे जाते हैं जिसमें वे घूम सकें । किवाडों और संदूको आदि में ये जडे़ जाते हैं । नर- मादगी । पकड़ ।

३. दखल । अधिकार । वश । इख्तियार । यौ॰—कब्जादार । क्रि॰ प्र॰—करना ।—जमाना ।—पाना ।—मिलना ।—होना । मुहा॰—कब्जा उठाना = अधिकार का जाता रहना ।

४. दंड । भुजदंड । डाँड । बाजू । मुश्क ।

५. कुश्ती का एक पेंच । विशेष—यदि विपक्षी कलाई पकड़ता है तो खिलाड़ी दूसरे हाथ से उसपर चोट करता है अथवा अपनी खाली हाथ से उसकी कलाई पर झटका देता है और अपना हाथ खींच लेता है । इसे 'गट्टा' या 'पहुँचा' भी कहते हैं ।