कम्प
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कंप ^१ पुं॰ [सं॰ कम्प]
१. कँपकँपी । काँपना ।
२. श्रृंगार के सात्विक अनुभावों में से एक । इसमें शीत, कोप और भय आदि से अकस्मात् सारे शरीर में कँपकँपी सी मालूम होती है ।
३. शिल्पशास्त्र में मंदिरों या स्तंभों के नीचे या ऊपर की कँपनी । उभड़ी हुई कँगनी । यौ॰—कंपज्वर = शीतज्वर । बुखार । कंपमापक = भूकंप मापक यंत्र । कंपवायु = एक प्रकार की वातव्याधि जिसमें मस्तक और सब अंगों में वायु के दोष से कंपन होता है ।—माधव॰, पृ॰ १४६ । कंपविज्ञान = भूकंप संबंधी विज्ञान ।
कंप ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कंप] पड़ाव । लशकर । डेरा । उ॰—साथ में कंप बहुत बड़ा है ।—हुमायूँ॰, पृ॰ ८० ।