करङ्क
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
करंक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ करङ्क]
१. मस्तक ।
२. करवा । कमंडलु ।
३. नरियरी । नारियल की खोंपड़ी ।
४. पंजर । ठठरी । उ॰—(क) चारों ओर दौरे नर आए ढिग टरि जानी ऊँट— के करंक मध्य देह जा दुराई है । जग दुर्गंध कोई ऐसी बुरी लागी जामें बहु दुर्गँध सो सुगंध लौ सराही है ।—प्रिया (शब्द॰) । (ख) कागा रे करंक परि बोलइ । खाइ मास अरु लगही डोलइ ।—दादू (शब्द॰) ।
करंक ^२ † संज्ञा पुं॰ [देश॰] भोज में अनाहुत रूप में डटने और भोजन किए बिना न हटनेवाला व्यक्ति । कँगला ।