करद
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]करद ^१ वि॰ [सं॰]
१. करदेनेवाला । मालगुजार । अधीन । जैसे,— करद राज्य ।
२. सहारा देनेवाला । उ॰—राँक सिरोमनि काकिनी भाव विलोकत लोंकप को करदा है ।—तुलसी (शब्द॰) ।
करद ^२ संज्ञा स्त्री॰ [फा॰ कारद] छुरा । चाकू । बड़ा छूरा । उ॰— (क) करद मरद को चाहिए जैसी तैसी होय ।—(शब्द॰) । (ख) गरद भई है वह, दरद बतावै कोन, सरद मयक मारी करद करेदे में ।—बेनी प्रवीन (शब्द॰) ।
करद ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. मालगुजारी देनेवाला किसान । विशेष—चाणक्य ने लिखा है कि जो किसान मालगुजारी देते हों, उनको हलके सुधरे हुए खेत खेती करने के लिये दिए जायँ बिना सुधरे खेत उनको न दिए जायँ । जो खेती न करें, उनके खेत छीन लिए जायँ । गाँव के नौकर या बनिए उसपर खेती करें । खेती न करनेवाला सरकारी नुकसान दें । जो लोग सुगमता से कर दे दें, राजा उनको धान्य, पशु, हल आदि की सहायता दे ।
२. कर देनेवाला राजा या राज्य ।
३. वह घर जिसका राज्य को कर मिले ।—(को॰) ।