करभोरु

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

करभोरु ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] हाथी की सूँड जैसा सुडौल जंघा । उ॰— पृथु नितंब करभोरु कमल पद नख मणि चंद्र अनूप । मानहु लब्ध भयो वारिज दल इंदु किए दश रूप — सूर (शब्द॰) ।

करभोरु ^२ वि॰ जिसकी जाँघ हाथी की सूँड की सी मोटी हो । जिसकी जाँघ सुदर हो । सुंदर जाँघवाली ।