करार
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]करार संज्ञा पुं॰ [सं॰ कराल=ऊँचा । हि॰ =कट=कटना+सं॰ आर=किनारा] नदी का ऊँचा किनारा जो जल के काटने से बनता है ।
करार ^२ संज्ञा पुं॰ [अ॰ करार]
१. स्थिरता । ठहराव । क्रि॰ प्र॰—पाना । —देना । —होना ।
२. धैर्य । धीरज तसल्ली । संतोष । उ॰—प्रब दिल को करार नहीं ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ ८८ ।
३. आराम । चैन । उ॰—सुनो रे मेरे देव रे दिल को नहीं करार । जल्दी मेरे वास्ते सभा करो तैयार ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ७८९ ।
४. दादा । प्रतिज्ञा । कौल ।
करार ^३ पु वि॰ [सं॰ कराल] दे॰ 'कराल' । उ॰—भीरै दूऊ भारं तुटै वग्गतारं, अकथ्थं करारं कहै देव पारं ।—पृ॰ रा॰, २४ ।१७१ ।
करार ^४ पु संज्ञा पुं॰ [हि॰ करारा=कौआ] दे॰ 'करारा' । उ॰— प्रातः समय बोल्ले करार सुभ कहिय पूर्व गनि । अगिनि कोन रिपु मरन पथिक आवइ दहिन मनि ।—अकबरी॰ पृ॰ ३२९ ।