करेला
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]करेला संज्ञा पुं॰ [सं॰ कारवेल्ल]
१. एक छोटी बेल । उ॰—भाब की भाजी सील की सेमा बने कराल करेला जी ।—कबीर शा॰, पृ॰ ११ । विशेष—इसकी पत्तियाँ पाँच नुकीली फाँकों में कटी होती हैं । इसमें लंबे लबे गुल्ली के आकार के फल लगते हैं जिनके छिलके पर उभड़े हुए लंबे लंबे और छोटे बड़े दाने होते हैं । इन फलों की तरकारी बनती है । करेला दो प्रकार का होता है । एक बैसाखी जो फागुन में क्यारियों में बोया जात है, जमीन पर फैलता है और तीन चार महीने रहता है । इसका फल कुछ पीला होता है, इसी से कलौजी बनाने के काम में भी आता है । दूसरा बरसाती जो बरसात में बोया जाता है, झाड़पर चढ़ता है और सालों फूलता फलता है । इसका फल कुछ कुछ पतला और ठोस होता है । कहीं कहीं जंगली करेला भी मिलता है जिसके फल बहुत छोटे और कड़ुए होते हैं । इसे करेली कहते हैं ।
२. माला या हुमेल की लंबी गुरिया जो बड़े दानों या कोंढ़ेदार रुपयों के बीच में लगाई जाती है । हर्रे ।
३. एक प्रकार की आतशबाजी ।