कर्णिकार

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कर्णिकार संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. कनियार या कनकचंपा का पेड़ । उ॰—सहज मातुगुण गंध था कर्णिकार का भाग । विगुण रुप दृष्टांत के अर्थ न हो यह त्याग । —साकेत, पृ॰ २९१ ।

२. एक प्रकार का अमलतास जिसका पेड़ बड़ा होता है । इसमें भी अमलतास ही की तरह की लंबी लंबी फलियाँ लगती हैं जिनके गुदे का जुलाब दिया जाता है । वैद्यक में यह सारक और गरम तथा कफ, शुल, उदररोग, प्रमेहु, व्रण और गुल्म का दुर करनेवाला माना जाता है ।