कलबूत
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कलबूत संज्ञा पुं॰ [फा़॰ कालबुद]
१. ढ़ाँचा । साँचा । उ॰—पूत कलबूत से रहैंगे सब ठाड़े तब कछू न चलैगी जब दूत धरि पावैगो ।—दीन॰ ग्रं॰, पृ॰ २४१ ।
२. लकड़ी का ढाँचा जिसपर चढ़ाकर जूता सिया जाता है । फरमा ।
३. मिट्टी, लकड़ी या टीन का गुंबदनुमा टुकड़ा जिसपर रखकर चौगोशिया या अठगोशिया टोपी या पगड़ी आदि बनाई जाती है । गोलंबर । कालिब ।