कलल

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कलल ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. गर्भाशय में रज और वीर्य की वह अवस्था जिसमें एक पतली झिल्ली सी बन जाती है और जो कलन के उपरांत होती है । विशेष—सुश्रुत के अनुसार जब ऋतुमती स्त्री का स्वप्न मैथुन द्वारा रज उसके गर्भाशय में प्रवेश करता है, तब भी उससे हड्डी आदि से रहित एक बुलबुला सा बनकर रह जाता है और कलल कहलाता है ।

२. गर्भाशय (को॰) । यौ॰—कललज=(१) गर्भ । (२) राल ।

कलल ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कलकल] कलकल ।