कलेवर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कलेवर संज्ञा पुं॰ [सं॰] शरीर । देह । चोला । मुहा॰—कलेवर चढ़ाना=महावीर, भैरव, गणेश आदि देवताओं की मूर्ति पर घी या तेल में मिले सेंदुर का लेप करना । कलेवर बदलना=(१) एक शरीर त्यागकर दूसरा शरीर धारण करना । चोला बदलना । (२) एक रूप से दूसरे रूप में जाना । (३) जगन्नाथ जी की पुरानी मूर्ति के स्थान पर नई मूर्ति स्थापित होना । विशेष—यह एक प्रधान उत्सव है, जो जगन्नाथ पुरी में जब मलमास असाढ़ में पड़ता है, तब होता है । इसमें लकड़ी की नई मूर्ति मंदिर में स्थापित की जाती है और पुरानी फेंद दी जाती है । (४) कायाकल्प होना । रोग के पीछे शरीर पर नई रंगत चढ़ाना । (५) पुराना कपड़ा उतारकर नया और साफ कपड़ा पहनना ।

२. ढाँचा । आकार । डील डौल ।