कवल
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कवल ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ कवलित] अन्न या भोज्य पदार्थ की वह मात्रा जो खाने के लिये एक बार मुँह में ड़ाली जाय । उतनी वस्तु जितनी एक बार में खाने के लिये मुँह में रखी जाय । कौर । ग्रास । गस्सा ।
२. उतना पानी जितना मुँह साफ करने के लिये एक बार मुँह में लिये जाय । कुल्ली ।
३. एक प्रकार की मछली । कौवा ।
४. एक प्रकार की तौल । कर्ष ।
कवल ^२ संज्ञा पुं॰ [देश॰] किनारा । कोना ।
कवल ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰] [स्त्री॰ कवली]
१. एक पक्षी का नाम ।
२. घोड़े की ऐक जाती का नाम । उ॰— जरदा, जिरही, जाँग, सुनौची खदे खंजन । करर, कवाहे, कवल, गिलगिली, गुल गुलरंजन । — सूदन (शब्द॰) । ३ एक प्रकार का रोग (को॰) ।
४. वाराह । शूकर (को॰) ।
कवल ^४ † पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ कमल] दे॰ 'कमल' । उ॰— कालिंदी न्हावहि न नयन अंजै न म्रगंमद । कुचा अग्र परसै न नील दल कवल तोरि सद ।— पृ॰ रा॰, २ । ३४९ ।