कवष

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कवष संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. ढाल ।

२. एक ऋषि का नाम । विशेष—ये इलूस के पुत्र थे और इनकी माँ दासी थी । इनके बनाए मंत्र ऋग्वेद के दसवें मंडल में हैं । ऐतरेय ब्राह्मण में लिखा है कि सारस्वत प्रदेश में कुछ ऋषि यज्ञ कर रहे थे । उनकी पंक्ति में बैठकर कवष खाना पीना चाहते थे । ऋषियों ने उन्हें दासीपुत्र कहकर निकाल दिया । इससे वे उनसे क्रुद्ध होकर वहाँ से चले गए और तप करके बहुत से मंत्र रचकर उन्होंने देवताओं को प्रसन्न किया । इसपर ऋषियों ने उनकी बड़ी प्रार्थना की और उन्हें अपनी पंक्ति में ले लिया ।