कव्य संज्ञा पुं॰ [सं॰] वह अन्न जो पितरों को दिया जायँ । वह द्रव्य जिससे पिंड, पितृयज्ञादि किए जायँ । उ॰—विधिवत कव्य सँजोइ नित्त हमें तर्पित करे ।—शकुंतला पृ॰ १२५ । विशेष—कव्य अन्न श्रोत्रिय को देना चाहिए ।