कश्फ संज्ञा पुं॰ [अ॰ कश्फ़] प्रकट होना । खुलना । उ॰—करामत कश्फ हक तुमना देवेगा । भोत कुछ न्यामताँ कर रोज उकवा ।—दक्खिनी॰, पृ॰ ११५ ।