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कसर

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कसर ^१ संज्ञा स्त्री॰ [अ॰]

१. कमी । न्यूनता । त्रुटि । उ॰—कसर न मुझमें कुछ रही असर न अब तक तोहिं । आइ भावते दीजिए बेगि सुदरसन मोहिं ।—रसनिधि (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—आना ।—करना ।—पड़ना ।—रखना ।—रहना ।—होना । मुहा॰—कसर करना, छोड़ना रखना = त्रुटि करना । कुछ बाकी छोड़ना । जैसे, —उन्होंने मेरी बुराई करने में कोई कसर न की । कसर निकलना = कमी पूरी होना । कमर निकालना = कमी पूरी करना ।

२. द्वेष । बैर । अकस । मनमुटाव । जैसे, —वे हमसे मन में कुछ कसर रखते हैं । क्रि॰ प्र॰—रखना । मुहा॰—कसर निकालना या काढ़ना = बदला लेना । (दो आदमियों के बीच) कसर पड़ना = (दो आदमियों के बीच) मनमोटाव होना ।

३. टोटा । घाटा । हानि । जैसे, —इस माल के बेचने में हमें दो सौ की कसर पडती है । क्रि॰ प्र॰—पड़ना ।—होना । मुहा॰—कसर खाना या सहना = हानि उठाना । घाटा सहना । कसर देना या भरना = घाटा पूरा करना ।

४. नुक्स । दोष । विकार । जैसे, —उनके पेट में कुछ कसर है । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना ।

४. किसी वस्तु के सूखने या उसमें से कूड़ा करकट निकलने से जो कमी हो । जैसे, —१० सेर गेहूँ में से १ सेर तो कसर गई । क्रि॰ प्र॰—जाना ।

कसर ^२ संज्ञा पुं॰ [देश॰] कुसुम या बर्रे का पौधा ।