कसाई
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कसाई ^१ संज्ञा पुं॰ [अ॰ क़स्साब] [स्त्री॰ कसाइन]
१. वधिक । घातक ।
२. गोघातक । बूचड़ । मुहा॰—कसाई के खूंटे बंधना = निष्ठुर के पाले पड़ना । कसाई का काठ = क्रूरता । कुत्सापूर्ण निर्दयता । उ॰—कई बार उसने निश्चय किया कि अपने आप को कसाई के इस काठ से हटाकर संसार के भँवर में डाल दे । अभिशप्त, पृ॰ ६५ । यौ॰—कसाईबाड़ा ।
कसाई ^२ वि॰ निर्दय । बेरहम । निष्ठुर ।
कसाई ^३ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ कसाना+ आई (प्रत्य॰)] दे॰ 'कसवाई' ।