काँस

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

काँस संज्ञा पुं॰ [सं॰ काश] एक प्रकार की लंबी घास जो परती अथवा ऊँजी और ढलुई जमीन सें होती है । उ॰ फूले काँस सकल महि छाई । जनु वर्षा ऋतु प्रगट बुढाई । — तुलसी (शब्द॰) । ( ख) आए कनागत फूले काँस । ब्राम्हन कूदै नौ नौ बाँस (शब्द॰) । विशेष— इसकी पतियाँ दो दो ढाई ढाई हाथ लंबी और शर से भी पतली होती हैं । काँस पुरसा भर तक बढ़ता है और बर्ष ा के अंत में फलता है । फूल जीरे में सफेंद रूई की तरह लगते हैं । काँस रस्सियाँ बटने और टोकरे आदि बनाने के काम में आता है । इसकी एक पहाड़ी जाति बनकस या बगई कहलाती है जिसकी रस्सियाँ ज्यादा मजबूत होती है और जिससे कागज भी बनता है । विशेष—कोई कोई इस शब्द को स्त्रीलिंग में भी बोलते हैं । मुहा॰—काँस में तैरना= असमंजन में पड़ना । दुबिधा में पड़ना । काँस में फँसना = संकट में पड़ना ।