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काऊ

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

काऊ ^१ क्रि॰ वि॰ [सं॰ कुह, या *कुध अथवा सं॰ कदाषि, प्रा॰ कदावि कआवि> कआड़, फाऊ] कभी । उ॰—हिय तेहि निकट जाय नहिं काऊ ।—तुलसी (शब्द॰) ।

काऊ ^२ सर्व॰ [सं॰ किमपि या कोपि]

१. कोई ।

२. कुछ ।—उ॰ (क) पथ श्रम लेश कलेश न काऊ ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) गुन अवगुन प्रभु मान न काऊ ।—तुलसी (शब्द॰) ।

काऊ † ^३ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] वह छोटी खूँटी जो बरही के सिरे पर जोते हुए खेत को बराबर करनेवाले पाटे या हेंगे में लगी रहती हैं । कानी ।