काकड़ा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

काकड़ा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कर्कट, प्रा॰ कक्कड़] एक बड़ा पेड़ जो सुलेमान पहाड़ तथा हिमालय पर कुमाऊँ आदि स्थानों में होता है । विशेष—जाड़े में इसके पत्ते झड़ जाते हैं । इसकी कड़ी लकड़ी पीलापन लिए हुए भूरे रंग की होती है और कुरसी, मेज, पलंग आदि बनाने के काम में आती है । इसपर खुदाई का काम भी अच्छा होता है । पत्ते चौपायों को खिलाए जाते हैं । इसमें सींग के आकार के पोले बाँदे लगते हैं जिन्हें 'काकड़ासींगी' कहते हैं ।

काकड़ा ^२ संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का हिरन जिसे साँभर या साबर भी कहते हैं ।