काटल पु वि॰ [सं॰ किट्ट, हिं॰ काट] मोरचावाला । जंग लगा । उ॰—काटल आवध मूझ कर मन मंदाइण ब्रन्न ।—बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰ ३ पृ॰ २८ ।