काठी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

काठी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ काठ]

१. घोडों की पीठ पर कसने की जीन जिसमें नीचे काठ लगा रहता है । यह आगे और पीछे की ओर कुछ उठी होती है । उ॰—कोडे पर अच्छी चमडे की कठी लगी हुई थी ।—किन्नर, पृ॰ ३८ । क्रि॰ प्र॰—कसना ।—धरना ।

२. ऊँट की पीठ पर रखने की गद्दी जिसके नीचे और उपर के उठे हुए भागों में काठ रहता है ।

३. तलवार या कटार का काठ का म्यान जिसपर चमडा या कपडा चढा रहता है ।

काठी ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कायस्थिति, प्रा॰ कायठिटइ अथवा सं॰ कायस्थि, प्रा॰ का आटि्ठ] शरीर की गठन । अँगलेट । जैसे,—उसकी काठी बहुत अच्छी है । उ॰—तेरी पूजी सेवा ये रे प्रोजी पराई काठी दे रे ।—दक्खिनी॰ पृ॰ ३६ ।

काठी ^३ वि॰ [काठियावाड] काठियावाड का (घोडा) । उ॰— दल सुध दान दियाह, काठी घाटी कवियणाँ ।—बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰ ३, पृ॰ १५ ।

काठी ^४पु वि॰ [सं॰ कष्ट, कृष्ट, प्रा कट्ठ](राज्य॰) काठी । खूब मजबुती से । उ॰—सींगण काइ न सिर जियाँ, प्रीतम हाथ करंत । काठी साहँत मुठी माँ, कोडी कासी संत । ढोल॰, दू॰ ४१६ ।