कामरूप

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

कामरूप ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. आसाम का एक जिला जहाँ कामाक्ष देवी का स्थान है । इसका प्रधान नगर गौहाटी है । विशेष—कलिका पुराण में कामाख्या देवी औऱ कामरूप तीर्थ का माहात्म्य बडे विस्तार के साथ लिखा है । यह देवों के ५२ पीठों में से है । यहाँ का जादु टोना प्रसिद्ध है । प्राचीनकाल में यह म्लेच्छ देश माना जाता था औऱ इसकी राजधानी प्रागज्योतिषपुर (आधुनिक गौहाटी) थी । रामायण के समय में इसका राजा नरकासुर था । सीता के खोज के लिये बंदरों को भेजते समय सुग्रीव ने इस देश का वर्णन किया है । महाभारत के समय में प्रागज्योतिषपुर का राजा भगदत्त था । जब अर्जुन दिग्विजय के लिये निकले थे, तब यह उनसे चीनियों औऱ किरातों कि सेना लेकर लडा था । कुरुक्षेत्र के युद्ध में भी भगदत्त चीनियों और किरातों की म्लेच्छ सना लेकर कोरवों की ओर से लडने गया था । महाभारत में कहीं कहीं भगदत्त को 'म्लेच्छानामाधिप' भी कहा है । पीछे से जब शाक्तों और तांत्रिकों का प्रभाव बढा, तब यह स्थान पवित्र मान लिया गया ।

२. एक अस्त्र जिसमें प्राचीन काल में शत्रु के फेंके हुए अस्त्र व्यर्थ किए जाते थे ।

३. बरगद की जाति का एकबडा सदाबहार पेड । विशेष—इसकी लकडी चिकनी, मजबूत औऱ ललाई लिए हुए सफेद रंग की होती है जिसपर बडी सुंदर लहरदार धारियाँ पडी होती है । इसकी तौल प्रति घनफुट २० सेर के लगभग होती है । यह लकडी किवाड, कुरसी, मेज आदि बनाने के काम में आती है । कामरुप की पत्तियाँ टसर रेसम के कीडे भी खाते हैं ।

४. २६ मात्राओँ का एक छंद, जिसमें ९,७ और १० के अंतर पर विराम होता है । अंत में गुरु लघु होते हैं । जैसे,—सित पछ सुदसमी, विजय तिथि सुर, वैद्य नखत प्रकास । कपि भालु दल युत, चले रघुपती, निरखि समय सुभास ।

५. देवता ।

कामरूप ^२ वि॰ यथेच्छ रूप धारण करनेवाला । मनमाना रूप धारण करनेवाला । उ॰—(क) कामरुप सुंदर तनु धारी । संहि त समाज सोह बर नारी ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) उ॰—शशि किरणो से उतर उतरकर भू पर कामरूप नभचर । चूम चपल कलियों का मृदु मुखा सिखा रहे थे मुसकाना ।—वीणा, पृ॰ ५८ ।