काम्य
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]काम्य ^१ वि॰ [सं॰]
१. जिसकी इच्छा हो ।
२. जिससे कामना की सिद्धि हो । जैसे,—काम्य कर्म ।
काम्य ^२ संज्ञा पु॰ [सं॰] वह यज्ञ या कर्म जो किसी कामना की सिद्धि के लिये किया जाय । जैसे—पुत्रोष्टि, कारीरी । विशेष—यह अर्थ कर्म के तीन भेदों में से है । काम्य कर्म भी तीन प्रकार का कहा गया है—ऐहिक वह है जिसका फल इस लोक में मिले जैसे,—पुत्रोष्टि और कारीरी । आमुष्मिक—वह है जिसका फल परलोक में मिले, जैस अग्निहोत्र । ऐहिकामुष्मिक का फल कुछ इस लोक में और कुछ परलोक में मिलता है ।