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कालिका

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कालिका संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. देवी की एक मूर्ति । चंडिका । काली । विशेष—शुंभ और निशुंभ के अत्यातचारों से पीड़ित इंद्रादिक देवताओं की प्रार्थना पर एक मातंगी प्रकट हुई, जिसके शरीर से इन देवी का आविर्भाव हुआ । पहले इनका वर्ण काला था, इसी से इनका नाम कालिका पड़ा । यह उग्र भयों से रक्षा करती हैं, इस कारण इनका एक नाम उग्रतारा भी है । इनके सिर पर एक जटा है, इसी से ये एकजटा भी कहलाती हैं । इनका ध्यान इस प्रकार है—कृष्णवर्णा, चतुर्भुजा, दाहिने दोनों हाथों में से ऊपर के हाथ में खंङ्नो और नीचे के हाथ में पद्म, बाएँ दोनों हाथों में से ऊपर के हाथों में कटारी और नीचे के हाथ में खप्पर, बड़ी ऊँची एक जटा, गले में मुँडमाला और साँप, लाल नेत्र, काले वस्त्र, कमर में बाघंबर, बायाँ पैर शव की छाती पर और दाहिना सिंह की पीठ पर, भयंकर अट्टहास करती हुई । इनके साथ आठ योगिनियाँ भी हैं, जिनके नाम ये हैं—महाकाली, रुद्राणी, उग्रा, भीमा, घोरा भ्रामरी, महारात्रि और भैरवी ।

२. कालापन । कलैंछ । कालिख ।

३. बिछुआ नामक पौधा ।

४. किस्तबंदी ।

५. रोमराजी । जटामासी

७. काकोली ।

८. श्रृगाली ।

९. कौवे की मादा ।

१०. श्यामा पक्षी ।

११. मेघघटा

१२. सोने का एक दोष । सूबर ।

१३. मट्ठे का कीड़ा ।

१४. स्याही । मसी ।

१५. सुरा । मदिरा । शराब ।

१६. एक प्रकार की हर । काली हर ।

१७. एक नदी ।

१८. आँख की काली पुतली ।

१९. दक्ष की एक कन्या ।

२०. कान की मुख्य नस ।

२१. हलकी झड़ी । झींसी ।

२२. बिच्छू ।

२३. काली मिट्टी जिससे सिर मलते हैं ।

२४. चार वर्ष की कन्या ।

२५. रणचंडी ।

२६. चौथे अर्हंत की एक दासी (जैन) ।