काश्त संज्ञा स्त्री॰ [फ़ा॰] १. खेती । कृषि । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना । २. जमींदार की कुछ वार्षिक लगान देकर उसकी जमीन पर खेती करने का स्वत्व । मुहा॰—काश्त लगना = वह अवधि पूरी होना जिसके वाद किसी काश्तकर को किसी खेत पर दखीलकारी का हक प्राप्त हो जाय ।