काश्तकार

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

काश्तकार संज्ञा पुं॰ [फा़॰]

१. किसान । कृषत । खेतिहर ।

२. वह मनुष्य जिसने जमींदार को कुछ वार्षिक लगान देने की प्रतिज्ञा करके उसकी जमींन पर खेती करने की स्वत्व प्राप्त किया हो । विशेष—साधारणतः काश्त, साकल—मालक कीयत और शिकमी । शरह मुएअन वे हैं जो दवामी बंदोबस्त के समय से बराबर एक ही मुकर्रर लगान देते आए हो । ऐसे काश्तकारों की लगान बढ़ाई नहीं जा सकती और वे बेदखल नहीं किए जा सकते । दखीलकार वे हैं जिन्हें बारह वर्ष तक लगातार एक ही जमीन जोतने के कारण उनपर दखीलकारी का हक प्राप्त हो गया हो और जो बेदखल नहीं किए जा सकते । गैर दखीलकार वे हैं जिनकी काश्त की मुद्दत बारह वर्ष से कम हो । साकितुल मालकियत वह है जो उसी जमीन पर पहले जमींदार की हैसियत से सीर करता रहा हो । शिकमी वह है जो किसी दूसरे काश्तकार से कुछ मुद्दत तक के लिये जमीन लेकर जोते ।