काश्यप

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प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

काश्यप ^२ वि॰ [सं॰]

१. काश्यप प्रजापति के वंश या गोत्र का । कश्यप संबंधी ।

२. जैनमतानुसार महास्वामी के गोत्र का ।

काश्यप ^२ संज्ञा पुं॰

१. बौद्धमतानुसार एक बुद्ध जो गौतम बुद्ध से पहले हुए थे ।

२. रामचंद्र की सभा के एक सभासद ।

३. कणाद मुनि (को॰) ।

४. एक प्रकार का मृग (को॰) ।

५. एक गोत्र का नाम जो कश्यप ऋषि के वंशजों में चला (को॰) ।

६. एक मुनि का नाम (को॰) ।

७. विषविद्या का एख विद्वान् जिसका उल्लेख महाभारत में विस्तार से हुआ है । विशेष—कहा गया है कि जब शमीक के पुत्र श्रृगी ऋषि ने राजा परिक्षित को सातवें दिन तक्षक द्वारा डस लिए जाने का शाप दिया तब धन के लोभ से उन्हें बचाने ते लिये यह ब्राह्मण हस्तिनापुर चल दिया । रास्ते में तक्षक से उसकी भेंट हो गई । तक्षक के पूछने पर इसने हस्सिनापुर जाने का प्रयोजन उसे बता दिया । इसकी सामर्थ्य की परीक्षा लेने के लिये उसने एक विशाल वट वृक्ष को जाकर डस लिया । उसमें विष के प्रभाव से ज्वालाएँ उठने लगीं । उसके जल जाने पर उसकी राख हाथ में लेकर ब्राह्मण ने मत्र पढ़ा और वह वृक्ष फिर उसी प्रकार ज्यों का त्यों हो गया । यह देकर तक्षक ने बहुत सा धन देकर उस ब्राह्मण को वहीं से औदी दिया ।

८. मांस [को॰] । यौ॰—काश्यपनंदन = गरुड़ ।