किल
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]किल ^१ क्रि॰ वि॰ [सं॰] निश्चय ही । अवश्य । उ॰—(क) कै श्रोणित कलित कपास यह किल कापालिक काल को ।— केशव (शब्द॰) । (ख) फूटे किल कनक—भास रवि-शशि- उड़ुगण । अकाश ।—आराधना पू॰ ३६ ।
किल ^२पु संज्ञा स्त्री॰ [हि॰ कील] लोहे को काँटीनुमा चीज । किल्ली । उ॰— व्यास जोति जगजोति तह सिद्ध महूरत ताव । दैवजोग सेसह सिरह किल किल्लित सु ग्राव । —पृ॰ रा॰, ३ । १६ ।
किल ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰] खेल । क्रीड़ा । [को॰] ।