किल्ली

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

किल्ली संज्ञा स्त्री॰ [हि॰ कील]

१. कील । खूँटी । मेख । उ॰— भयो तुँवर मतिहीन करिय किल्ली तै ढिल्लिय ।—चंद (शब्द॰) ।

२. सिटाकिनी । विल्ली ।

२. किसी कल या पेंच की मुठीया जिसे घुमाने से वह चले । क्रि॰ प्र॰ — ऐंठना ।— घुमाना ।—दबाना । मुहा.—किसी की किल्ली किसी के हाथ में होना=किसी का वश किसी पर होना । किसी की चाल किसी के हाथ में होना । जैसे—बह हम से भागकर किधर जायगा, उसकी किल्ली तो हमारे हाथ में है । किल्ली घुमाना या ऐठना=दाव यापेंच चलाना । युक्ति लगाना । जैसे—उसने न जाने कैसी किल्ली ऐठ दी है बहाँ कोई हमारी बात नहीं सुनता ।