किस्मत
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]किस्मत संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ किस्मत]
१. प्रारब्ध । भाग्य । नसीब । करम । तकदीर । उ॰—यह न थी हमारी किस्मत कि विसाले यार होता । अगर और जीते रहते यही इंतजार होता ।— कविता कौ॰ । भा॰४, पृ॰ १९ । मुहा॰.—किस्मत आजमाना=भाग्य की परीक्षा करना । किसौ कार्य को हाथ में लेकर देखना, कि उसमें सफलता होती है या नहीं । उ॰—हम कहाँ किस्मत आजमाने जायँ । तू ही जब खजर आजमा न हुआ ।—गालिब॰ । किस्मत उलटना= भाग्य खराब हो जाना । सिम्त खुलना=भाग्य अच्छा होना । किस्मत चमकना=भाग्य प्रबल होना । किस्मत जगना या जागना=भाग्य का अनुकूल होना । किस्मत पलटना=भाग्य में परिवर्तन होना । प्रारब्ध का अच्छे से बुरा या बुरे से अच्छा होना । किस्मत फिरना=दे॰ 'किस्मत पलटना' । किस्मत फूटना=भाग्य का बहुत मंद हो जाना । किस्मत लड़ना= (१) भाग्य की परीक्षा होना । जैसे,—इस समय कई आदमियों की किस्मत लड़ रही हैं, देखें किसे मिलता है । (२) भाग्य खुलना = प्रारब्ध अच्छा होना । जैसे,—उनको किस्मत लड़ गई वे इतने उँचे पद पर पहुँच गए । किस्मत का लिखा पूरा होना = भाग्य का फल मिलना । यौ.—किस्मतवाला = भाग्यवान् । बड़े भाग्यवाला । किस्मत का धनी = जिसका भाग्य प्रबल हो । भाग्यवान् । किस्मत् का हेठा = जिसका भाग्य मंद हो । अभागा । बदकिस्मत । किस्मत का फेर = भाग्य की प्रतिकूलता । किस्मत का लिखा = वह जो भाग्य में लिखा है । करमरेख ।
२. किसी प्रदेश कावह भाग जिसमे कई जिले हों और जो एक कमिश्नर के अधीन हो । कमिश्नरी ।