कीप
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कीप ^१ संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ कीफ़॰] वह चोंगी जिसे तंग मुँह के बरतन में इसलिये लगाते हैं जिसमें तेल, अर्क आदि द्रव पदार्थ उसमें ढालते समय बाहर न गिरे । छुच्छी ।
कीप ^२पु संज्ञा पुं॰ [डिं॰] रस । उ॰—कजली वन अलगी घणौ, अलगौ सिंहल दोप । किम इण बन लै केहरी, कुंभा थल रौ छीप ।—बाँकी ग्रं॰, भा१, पृ॰ ३५ ।