कीरि संज्ञा पुं॰ [सं॰] १. स्रुति । प्रशसा । २ स्तोत्र [को॰] । यौ॰—कीरिचोदन = प्रशंसा की प्रेरणा करना । प्रशंसक को बढ़ावा देना ।