कुंजर
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कुंजर संज्ञा पुं॰ [सं॰ कुञ्जर] [स्त्री॰ कुंजरा कुंजरी] । हाथी । मुहा॰— कुंजरो व (नरो वाकुजरोनरो) = हाथी या मनुष्य। श्वेत या कृष्ण। यह या वह। अनिश्चित या दुविधे की बाता । उ॰— सोहौं सुमिरत नाम सुधारस पेखत परसि धरो । स्वारथ हू परमारथ हू की नहिं कुंजरो नरौ ।— तुलसी (शव्द॰) । विशेष— द्रोणाचार्य जी कों वरदान था कि उनके प्राण पुत्र-शोक में निकलेंगे। महाभारत के युद्ध में जब द्रोणाचार्य जी के बाणों से पांड़व दल को बड़ी क्षति पहुँची तब कृष्णचंद्र ने यह अफ़वाह उड़ाने की सलाह दी कि अश्वत्थामा मारा गया, और इसकी सत्यता के लिय अश्वत्थामा नाम के एक हाथी को मरवा ड़ाला । द्रोणाचार्य जी से बहुतों ने अश्वत्थामा के मारे जाने का समाचार कहा, पर उन्हें विश्वास नहीं आया, यहाँ तक कि स्वयं श्रीकृष्ण के कहने पर भी उन्होंने सत्य नहीं माना और कहा कि जबतक धर्मराज युधिष्ठिर न कहेंगे मैं इसे सत्य नहीं मानूँगा । इसपर कृष्णचंद्र ने यिधिष्ठिर को इतना कहने के लिये राजी कि अश्वत्थामा मारा गया, न जाने हाथी या मनुष्य' । अश्वत्यामा हतो, नरो वा कुँजरो वा' । कृष्ण जी ने ऐसा प्रबंध किया कि ज्यों ही युधिष्ठिर के मुँह से 'अश्वत्थामा हतो' वाक्य निकला, शंखध्वनि होने लगी और द्रोणाचार्य जी शेष कुँजरो वा नरो वा' जो धीरे कहा गया था, न सुन सके । वे प्राणायम द्वार सब बातों को जानकर प्राणा त्यागना चाहते थे कि द्रुपद के पुत्र धृष्टद्युम्न द्वारा, जो द्रौपदी का भाई था, उनका सिर काट लिया गया । युधिष्ठिर के इस सदिग्ध वाक्य को लेकर मुहाविरा दुविधे की बातों के अर्थ में प्रयुक्त होता है ।
२. एक नाग का नाम
२. बाल । केश ।
४. एक देश का नाम ।
५. रामायण के अनुसार एक पर्वत का नाम । यह मलयागिरि की किसी श्रृंखला का नाम था ।
६. अंजना के पिता और हनुमान के नाना का नाम ।
७. पद्मपुराण के अनुसार एक वृद्ध शुक पक्षी का नाम जिसने समहर्षि च्यवन को उपदेश दिया था ।
८. छप्पय के २१ वे भेद का नाम जिसमें ५० । गुरु, ५२ लघु, १०२ वर्ण और १५२ मात्राएँ या ५० गुरू, ४८ लघु, ९८ वर्ण और १४८ मात्राएँ होती हैं ।
९. पाँच के छंदों के प्रस्तार में पहला प्रस्तार ।
१०. हस्त नक्षत्र ।
११. पीपल ।
१२. आठ की संख्या ।
१३. शिर (को॰) ।
१४. एक आभूषण (को॰) ।