कुंद
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कुंद ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ कुन्द]
१. जूही की तरह का एक पौधा, जिसमें सफेद फूल लगते हैं । इन फूलों में बड़ी मिठी सुगंध होती है । विशेष—यह पौधा क्वार से लेकर फागुन चैत तक फूलता रहा है । वैद्यक में यह शीतल, मधुर, कसैला, कुछ रेचक, पाचक तथा पित्तरोग और रुधिर विकार में उपकारी माना जाता है । प्रायः कवि लोग दाँतो की उपमा कुँद की कलियों से देते हैं । जैसे—बर दंत की पंगति कुंदकली, अधराधर पल्लव खोलन की ।—तुलसी (शब्द॰) । पर्या॰—माध्य । मकरंद । श्वेतपुष्प । महामोद । सदापुष्प । वरट । मुक्तापुष्प । वनहास । भृंगबंधु । अट्टहास ।
२. कनेर का पेड़ ।
३. कमल ।
४. कंदर नाम का गोंद ।
५. एक पर्वत का नाम ।
६. कूबेर की नौ निधियों में से एक ।
७. नौ की संख्या ।
८. विष्णु ।
९. खराद । उ॰—गढ़ि गढ़ि छोलि छोलि कुंद की सी भाई बाते जैसी मुख कहौ तैसी उर जब आनिहौं ।—तुलसी(शब्द॰) ।
कुंद ^२ वि॰ [फ़ा॰]
१. कुंठित । गुठला ।
३. स्तब्ध । मंद । यौ॰—कुंदजेहन = कुंठित बुद्धि का । मंदबुद्धि ।