कुंभकार
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कुंभकार संज्ञा पुं॰ [सं॰ कुम्भकार]
१. एक संकर जाति । कुम्हार । विशेष—ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार इस वर्णसंकर जाति की उत्पत्ति विश्वकर्मा पिता और शूद्रा माता से हुई है । जातिमाला में इसे पटआ (पटिका) पिता और गोप माता से उत्पन्न माना है । उशना ने चोरी से वेश्यागमन करनेवाले विप्र और वेश्या की संतान माना है और पाराशर ने मालाकार और कर्मकरी के योग से इसकी उत्पत्ति मानी है ।
२. मुर्गा । कुक्कुट ।
३. साँप (को॰) ।
४. जंगली पक्षी (को॰) ।